पद संज्ञा एवं संज्ञा के विकराक तत्व (लिंग वचन कारक)
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पद की परिभाषा-शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होता है और वाक्य से बाहर होता है, पर जब वह वाक्य के अंग के रूप में आता है, तब वह पद बन जाता है। जैसे -बच्चा खाना खाता है।
उपर्युक्त वाक्यों में ’बच्चा’ शब्द स्वतंत्र नहीं है अपितु वाक्यों के अनुसार बदले हुए रूपों में है। यही बदला हुआ रूप ’पद’ कहलाता है।
पद के भेद-पदों को निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है।
• संज्ञा
• सर्वनाम
• विशेषण
• क्रिया
• अव्यय
संज्ञा की परिभाषा- किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, स्थिति, गुण अथवा भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों को संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा : भेद प्रभेद
संज्ञा शब्दों से प्राय: किसी व्यक्ति, जाति या भाव के नाम का बोध होता है, इसलिए संज्ञा के तीन प्रमुख भेद किए जाते हैं:
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जतिवाचक संज्ञा
3. भावचाचक संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञा- जो संज्ञा शब्द किसी एक विशेष व्यक्ति, प्राणी, वस्तु या स्थान का बोध कराएँ, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं;
जैसे-
• मनुष्यों नाम-शीला, मदन, उर्मिला, गीता आदि।
• प्राणियों के नाम- रावत (हाथी का नाम), कामधेनु (गाय का नाम)।
• वस्तुओं के नाम -गांडीव (धनुष का नाम), हल्दी (मसाले का नाम)।
• स्थानों के नाम- भारत, लखनऊ, दिल्ली आगरा, जर्मनी आदि।
जातिवाचक संज्ञा- जो संज्ञा शब्द किसी जाति, पदार्थ, प्राणी समूह आदि का बोध कराते हैं। जातिवाचंक संज्ञा शब्द कहलाते हैं। कुर्सी, किताब, नदी, सोना, कक्षा आदि सभी शब्द जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण है।
जतिवाचक संज्ञा के दो उपभेद हैं-
• द्रव्यवाचक संज्ञा- कुछ संज्ञा शब्द ऐसे द्रव्य या पदार्थो का बोध कराते हैं, जिनसे अनेक वस्तुएँ बनती हैं। द्रव्य या पदार्थ का बोध कराने वाले संज्ञा शब्द को द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता है; जैसे -स्टील, लोहा, पीतल, प्लास्टिक, लकड़ी, ऊन आदि
• समूहवाचक संज्ञा-जो संज्ञा शब्द किसी समुदाय या समूह का बोध कराते हैं, समूहवाचक संज्ञा शब्द कहलाते हैं। जहाँ भी समूह होगा वहां एक से अधिक सदस्यों की संभावना होगी। जैसे- दरबार, सभा, कक्षा, सेना, भीड़, दल आदि। सभी समूहवाचक शब्द हैं। इन शब्दों का प्रयोग एकवचन में होता है, क्योंकि ये एक ही जाति के सदस्यों के समूह को एक इकाई के रूप में व्यक्त करते हैं।
भाववाचक संज्ञा-जिन संज्ञा शब्दों से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण-धर्म, दोष, शील, स्वभाव, अवस्था, भाव, संकल्पना आदि का बोध होता है, वे भाववाचक संज्ञा शब्द कहे जाते हैं। ये सभी अमूर्त संकल्पना व्यक्त करने वाले शब्द होते हैं; जैसे- ऊँचाई, निचाई, क्रोध, भय, प्रेम, बचपन, यौवन आदि।
हिन्दी के भाववाचक संज्ञा शब्दों में मूल शब्द भी मिलते हैं तथा यौगिक भी।
• मूल भाववाचक संज्ञा शब्द- सुख, दुख, क्षमा, दया, सत्य, जन्म आदि।
• यौगिक भाववाचक संज्ञा शब्द- यौगिक भाववाचक संज्ञा शब्दों की रचना सभी प्रकार के शब्दों से हो सकती है। ये मुख्यत: पाँच प्रकार के शब्दों से बनती हैं।
• जतिवाचक संज्ञाओ से
• सर्वनामों से
• विशेषणों से
• क्रियाओं से
• अव्ययों से।
भाववाचक संज्ञाओं की रचना
जातिवाचक संज्ञा से
जातिवाचक | भावचाचक |
आदमी | आदमीयत |
चिकित्सक | चिकित्सा |
दोस्त | दोस्ती |
नारी | नारीत्व |
पशु | पशुता |
सर्वनामों से
सर्वनाम | भाववाचक |
अहं | अहंकार |
निज | निजता |
सर्व | सर्वस्व |
आप | आपा |
स्व | स्वत्व |
विशेषणों से
विशेषण | भाववाचक |
अजनबी | अजनबीपन |
आस्तिक | आस्तिकता |
एक | एकता |
कम | कमी |
गहरा | गहराई |
क्रियाओ से
क्रिया | भाववाचक |
गिरना | गिरावट |
जीना | जीवन |
बहना | बहाव |
मारना | मार |
सीना | सिलाई |
अव्ययों से
अव्यय | भाववाचक |
दूर | दूरी |
मना | मनाही |
निकट | निकटता |
समीप | सामीप्य |
धिक् | धिक्कार |